राक्षस कुल में एक कन्या का जन्म हुआ ,नाम पड़ा था वृंदा, भगवान विष्णु कीअनन्य भक्त थी.बड़े ही प्रेम से भगवान की सेवा, पूजा किया करती थी.जब वह बड़ी हुई तो उनका विवाह राक्षस कुल में दानव राज जलंधर से हो गया। जलंधर समुद्र से उत्पन्न हुआ था. वृंदा बड़ी पतिव्रता स्त्री थी ।उसके पतिव्रता के दम पर जालंधर ने असंख्य युद्ध जीते।घमंड इतना बढ़ गया कि देवताओं से भी जा भिड़ा। देवताओ और दानवों में युद्ध शुरु हुआ जलंधर जब युद्ध पर जाने लगा तो वृंदा ने कहा``` - स्वामी आप युद्ध पर जा रहे है आप जब तक युद्ध में रहेगे में पूजा में बैठ कर``` आपकी जीत के लिये अनुष्ठान करुगी,और जब तक आप वापस नहीं आ जाते, मैं अनुष्ठान नही छोडूगी। जलंधर तो युद्ध में चले गये,और वृंदा व्रत का संकल्प लेकर पूजा में बैठ गयी, उनके व्रत के प्रभाव से देवता जलंधर से जीत नहीं पा रहे थे, सारे देवता जब हारने लगे तो विष्णु जी के पास गये। सबने भगवान से प्रार्थना की तो भगवान कहने लगे कि – वृंदा मेरी परम भक्त है में उसके साथ छल नहीं कर सकता । फिर देवता बोले - भगवान दूसरा कोई उपाय भी तो नहीं है अब आप ही हमारी मदद कर सकते ह...